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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 38)




'इलूज़' एक शक्तिशाली भ्रमजाल का निर्माण कर सकने वाला यंत्र! जिसका निर्माण मनोवैज्ञान चिकित्सक एवं महान वैज्ञानिक धवल ने किया था। इसके प्रयोग से मानसिक रोगी अपने भ्रम में वह सब हासिल कर सकता था जिसके न मिलने कारण उसकी मानसिकता विक्षिप्त हो जाती थी। क्योंकि जैसे ही वह उस विशेष चीज को प्राप्त कर लेता उसका दिमाग पुनः स्वयं पर नियंत्रण पाना चाहता एवं इससे उसके शीघ्र स्वस्थ होने में बहुत मदद मिलती, मनोविज्ञान के क्षेत्र में यह आविष्कार क्रांतिकारी सिद्ध होने वाला था। परन्तु इससे पहले इस डिवाइस का नमूना पेश किया जाता, इक अंधेरी रात में धवल की भयानक मौत के बाद वह डार्क लीडर के हाथों में पहुंच चुकी थी। उसे मारने वाला शख़्स भी शायद डार्क लीडर ही था परन्तु जब से उसके पास इलूज़ नामक यंत्र आया, वह पहले से अधिक बुद्धिमान एवं यंत्रज्ञ जान पड़ने लगा। इसी कारण तो वह इलूज़ को शक्तिशाली तन्त्रक्रियाओं से जोड़कर, डार्क गार्ड्स के द्वारा विस्तार तक पहुँचाया! यह तंत्र इतना अधिक शक्तिशाली था कि एक पूरे देश को भ्रम में कई दिनों तक रख सकता था। इस काम में सभी डार्क गार्ड्स विस्तार के हाथों मारे गए परन्तु तंत्र के कारण विस्तार पर कमजोरी छाने लगी और फिर इलूज़ द्वारा उसके मन में भयंकर दृश्य दिखाए गए जो तंत्र के कारण पूर्णतः वास्तविक लग रहा था।  परन्तु विस्तार ने अपने कृत्यों को स्वीकार किया, उसने कई भयानक सच का सामना किया और इस तरह वह इस भ्रमजाल को तोड़ पाया परन्तु, वह अब भी काफी कमजोर लग रहा था। उसको बहुत अधिक कमज़ोरी महसूस हो रही थी, उसके मन में धीरे-धीरे नकारत्मकता घर किये जा रही थी। उस चट्टान पर फैलकर  पसरे हुए विस्तार के मन में अनगिनत विचार आ रहे थे, अंदर ही अंदर वह आत्मग्लानि की अग्नि में जलकर स्वाहा हो रहा था, उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था। वह अपने मस्तिष्क, हृदय और लोगो की कही-सुनाई बातों में उलझा हुआ था। काफी देर तक लेटे रहने के बाद वह उठा और उसी चट्टान पर बैठ गया।

"माना कि मैंने कई अक्षम्य कृत्य किये हैं, जिसकी सजा आज मुझे जिंदा रहकर चुकानी पड़ रही है पर मैं इस दुनिया को बचाऊंगा उसके बाद ही मरूँगा, मुझे अमन को बचाना है, मुझे मेरे भाई को बचाना है।" विस्तार स्वतः ही बुदबुदा रहा था। "मुझे अमन को बचाना है!" विस्तार इस बार अपने शब्दों पर जोर देकर बोलते हुए उठा, वह डबडबाई आँखों से उपर स्याह आकाश की ओर देख रहा था।

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ग्रेमाक्ष ऊँचे स्वर में दहाड़ रहा था, जिसके कारण स्याह आसमान में बिजलियां कड़कने लगी, चहुं ओर अंधकार का आतंक बढ़ने लगा। ग्रेमाक्ष स्वयं यमराज के समान दिखाई दे रहा था, उसके क्रूर चेहरे पर ऐसे शैतानी भावों को देखकर किसी भी सामान्य जीव को हृदयाघात हो सकता था। ग्रेमाक्ष बार-बार लगातार चीखता हुआ एक ओर बढ़ चला, आज अंधेरे की दुनिया इस दुर्दांत जीव के चलने से काँपती हुई महसूस हो रही थी। वीर और डार्क लीडर ने भी इस हलचल को महसूस किया वे तीनों तेज गति से दौड़ते हुए उसके पास पहुँचे। उसका क्रूर अवतार देखकर एक क्षण को ये तीनो शैतान भी सहम गए, अगले ही क्षण वीर के चेहरे पर एक विचित्र मुस्कान तैरने लगी, डार्क लीडर एवं सुपीरियर लीडर यह देखकर अब भी बेहद हैरान हो रहे थे। किसी ने सपने में भी नही सोचा था कि दो कट्टर दुश्मन एक ही जिस्म के दो भाग हो सकते हैं।

"मैं आपका सबसे विश्वसनीय योद्धा वीर! आपके चरणों की सेवा में उपस्थित हूँ मेरे स्वामी!" घुटनों पर बैठकर हाथ जोड़े हुए वीर विनम्र स्वर में बोला।  सुपीरियर लीडर ने भी वीर का अनुसरण किया जबकि डार्क लीडर एक पैर के घुटने जमीन पर टिकाकर अपने बाएं हाथ को आगे कर एक विशेष मुद्रा बनाते हुए उसके समक्ष सिर झुकाकर अभिवादन किया।

"मुझे विस्तार चाहिए!" ग्रेमाक्ष, उन सबके निवेदनो को अनसुना कर एक ओर बढ़ते हुए बोला।

"इसके लिए आपको इतना परेशान होने की आवश्यकता नही है स्वामी! आपका यह सेवक उस विस्तार को आपके चरणों में लाकर ही वापस लौटेगा।" वीर प्रतिज्ञा लेने के मुद्रा में खड़ा होकर बोला।

"यह सत्य कह रहा है स्वामी! इस अंधकार के इकलौते उत्तराधिकारी आप हैं और हमारी राह का मुख्य कंटक वह विस्तार है! उस कांटे को हम उखाड़ फेकेंगे।" सुपीरियर लीडर, वीर के बराबर में खड़ा होते हुए बोला।

"मैंने विस्तार को मारने का पूरा प्रबंध कर दिया था स्वामी! हालांकि वह बच गया मगर अब वह इतना अधिक कमज़ोर हो गया होगा कि हमारे हाथों आसानी से मारा जा सके।" डार्क लीडर दम्भ भरने के स्वर में बोला।

"बहुत खूब मेरे बच्चों! अब उसके समापन के साथ सुपीरियर गार्ड्स की आर्मी का पुनः गठन करो, इस बार हम सम्पूर्ण संसार पर विजय प्राप्त करने के उत्सुक है।" ग्रेमाक्ष का स्वर थोड़ा नम्य हुआ परन्तु आँखों में अब भी अंगार दहक रहे थे।

'ये कैसी आर्मी है, इसके बारे में न मैंने कभी सुना न ही जाना।' तीनो के मन में यही ख्याल चल रहा था।

"आपकी इच्छा अवश्य पूर्ण होगी स्वामी!" वीर उत्साहित स्वर में बोला।

"अंधकार हो!" कहता हुआ ग्रेमाक्ष एक विशाल पर्वत की ओर बढ़ चला, जो कदाचित कुछ समय पूर्व ही निर्मित हुआ था, जो बाहर से तो किसी पर्वत की आकृति का था परन्तु अंदर से यह अंधेरी दुनिया का सबसे वीभत्सक महल यानी ग्रेमाक्ष का महल था।

"अंधकार हो! अंधकार हो!" तीनो ऊँचे स्वर में नारा लगाते हुए, उसी की ओर पीछे पीछे बढ़े, उनकी आहट पाते ही ग्रेमाक्ष वापस उनकी ओर घूम गया, उसकी घूरती आँखों को देखकर वे बिन कहे ही सबकुछ समझ गए। वीर के चेहरे पर तब भी मुस्कान कायम थी, जो डार्क लीडर को उस पर संदेह करने पर विवश कर रही थी।

वह जानना चाहता था, उसके मन में उत्कंठाए अनेक प्रश्न उठाये जा रही थी 'कैसे और क्या हुआ! विस्तार ने इतनी आसानी से कैसे कर लिया उर यही करना ही था तो फिर हजारों साल पहले भी कर सकता था या आखिर ऐसा कौन हो सकता है जो इन सबसे शक्तिशाली हो? यह सब करने से वीर को क्या लाभ होगा?' डार्क लीडर के पास किसी भी प्रश्न का उत्तर नही था बल्कि पल-प्रतिपल उसके मस्तिष्क में नए नए प्रश्न ही कौंध रहे थे और वह इन सबको जानना चाहता था।

"क्या सोच रहा है डार्क लीडर! अब हम एक ही टीम में हैं।" सुपीरियर लीडर, डार्क लीडर को चुपचाप खड़े देखकर बोला।

"इस समय हमें विस्तार को ढूंढने और उसे खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए। बाकी सब तो तुम लोग बाद में भी जान सकते हो। कही ऐसा ना हो वह मच्छर फिर सबकुछ उलट-पुलट कर चला जाये।" वीर गम्भीर स्वर में बोला, वह एक दिशा में उड़ते हुए विस्तार की खोज में निकला।

"शायद मुझे पता है कि विस्तार कहा मिल सकता है।" डार्क लीडर ऐसे बोला जैसे घ उसे उसे अचानक से याद आया हो।

"तो फिर किसकी प्रतीक्षा कर रहे हो! सबको अपना-अपना हिसाब भी तो बराबर करना है।" वीर फिर नीचे उतरते हुए बोला।

"हाँ! मुझे भी अपना एकाउंट सेटल करना है।" सुपीरियर लीडर बोला। जिसपर उन दोनों ने खास ध्यान नही दिया।

"चलो!" डार्क लीडर अचानक ही गंभीर हो चला था, वह वीर के मन में जो कुछ भी चल रहा था उसे जानना चाहता था।

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विस्तार अब तय कर चुका था कि उसे क्या करना है, फिर भी आत्मग्लानि उसे अंदर ही अंदर कमज़ोर किये जा रही थी। आत्मविश्वास के कमी के कारण ओमेगा चिन्ह मामूली सा चमक रहा था, जो स्याह पोशाक पर होने के कारण हल्का-हल्का चमकते दिखाई दे रहा था। उसे किसी न किसी अनिष्ट की आशंका हो रही थी, पिछले कुछ दिनों में उसके साथ जो कुछ भी हो रहा था वह वाकई बहुत ही विचित्र था। वह अपने साथ हुई घटनाओं को याद करके जैसे कुछ तो खंगालना चाहता था।

काफी देर बाद वह वहां से पैदल ही चल पड़ा, थोड़ी दूर चलने के पश्चात उसे वहां के वातावरण में कुछ तो रहस्यमयी जान पड़ा। विस्तार एक ओर बढ़ता चला गया, उसके सामने एक और ऊंची पहाड़ी थी जिसे उसने उड़कर पार किया, जैसे ही वह पहाड़ी की ऊँचाई तक पहुँचा उसके सीने पर तेजी से धक्का लगा, जिस कारण वह परकटे पंछी की भांति नीचे की घाटी में गिरने लगा। शीघ्र ही उसने होश संभाला और पहले से अधिक तीव्र गति से उड़ता  हुआ ऊपर पहुँचा। परन्तु यही पर वह गलती कर गया, जैसे ही वह पहाड़ी से थोड़ा ऊपर गया उसने देखा उसके बदन पर कुछ अदृश्य रेखाएं कसने लगी हैं। वह धड़ाम से पहाड़ी पर गिरा, उसके गिरने के कारण पहाड़ी में कुछ मामूली दरारें भी बन गईं। वह अदृश्य जाल विस्तार पर कसता ही जा रहा था, वहीं पास से दो-तीन लोगों के भयंकर अट्ठहास का स्वर गूंज रहा था। विस्तार ने उस ओर देखा, उसके समक्ष वीर, सुपीरियर लीडर और डार्क लीडर एक साथ खड़े थे, उनके अट्ठहास का स्वर विस्तार के लिए असहनीय हो रहा था, वह दर्द से छटपटा रहा था।

"हाहाहा.. तुम्हारा आईडिया वाकई शानदार रहा। पहले सभी ओर जाल बिछा दो और फिर चारे के लालच देकर शिकार को अपनी ओर आकर्षित कर लो। शिकार अपने आप ही खुशी खुशी जाले में आ मरेगा।" सुपीरियर लीडर, डार्क लीडर के बुद्धि की दाद दिए बिन न रह सका।

"तुम्हारा यह जाल वाकई उपयोगी साबित हुआ, इसमें फंसते ही कैसे फड़फड़ा रहा है बेचारा।" वीर भी डार्क लीडर की तारीफ करने लगा। "मैं इसे अभी इसी क्षण अपने हाथों से मार देना चाहता हूँ पर मैं इसे स्वामी के आगे गिड़गिड़ाते हुए दर्दनाक मौत देने के लिए उत्सुक हूँ।" वीर की आंखों में विस्तार के लिए नफरत परन्तु होंठो पर विचित्र मुस्कान थी। विस्तार विवश था, उसकी शक्तियां क्षीण होती जा रही थी।

"मेरा भी यही विचार है वीर!" डार्क लीडर बोला। "मैं भी इसे तड़पा-तड़पाकर मारना चाहता हूँ परन्तु यहां नही, लार्ड ग्रेमाक्ष के समक्ष! ताकि फिर कभी कोई भी जीव हमारे विरुद्ध अपना सिर उठाने की हिम्मत न करे।" वह शब्दों के साथ अंगार उगल रहा था, विस्तार अब लगभग अचेतन अवस्था में चला गया था।

"तो फिर ले चलो इसे स्वामी के पास!" सुपीरियर लीडर उसे एक ओर से उठाते हुए बोला।

क्रमशः…..


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2 Comments

Farhat

25-Nov-2021 06:41 PM

Good

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Seema Priyadarshini sahay

05-Oct-2021 04:56 PM

Nice

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